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हक़ीक़त

सारी हक़ीक़त जी उठ्ठी और सारी शिकायतें मर चुकी थी  मैं कहीं इंतज़ार करता रहा वो कहीं इज़हार कर चुकी थी।।                   ।। गौरव प्रकाश सूद।। #दर्दकाकारवां #ऐसावैसाwriter 30 सितम्बर 2025 17:28

वोडका शॉट्स

पी रहें हैं दोस्त कुछ आज साथ में वोडका के शॉट्स कॉफ़ी के ग्लास में।।                    ।। गौरव प्रकाश सूद #ऐसावैसाwriter 2 30 सितम्बर 2025 16:55

गाँव, खेत, शहर

जो तब खेत हूआ करते थे, वो अब खाक़ हो चुके हैं गाँव दूर हो चुके हैं, शहर पास हो चुके हैं।।                                            ।। गौरव प्रकाश सूद।। #ऐसावैसाwriter 30 सितम्बर 2025 16:48

आसमान

आप शोला हो तो मैं बस शरारा हूँ आप समुंदर हो, मैं कोई क़तरा खारा हूँ आपकी इस बात का बस इतना जवाब है आप पूरा आसमान हो, मैं बस एक सितारा हूँ ।।                                      ।। गौरव प्रकाश सूद।। #ऐसावैसाwriter 29 सितम्बर 2025 05:40 

तुम्हारी यादें या धुआँ

दिनभर की थकान जब रात का रूप ले लेती है तब तुम्हारी याद आती है, बहुत याद। जिनसे परेशां होकर मैं खिडकी पर जा खड़ा होता हूँ और तुम्हारी याद हवा के झोंकों का रूप ले लेकर कभी मेरे गालों को छूती है तो कभी मेरे बालों को। जिनसे से पीछा छुड़ाने के लिए मैं आख़िरकार सिगरेट जला ही लेता हूँ, तुम्हारी याद अब धुआँ बन चुकी होती है और मुझे लगता है कि तुम्हारी यादें सिगरेट ख़त्म होते-होते धुआँ बनकर उड ही जाएंगी। मगर ऐसा नहीं होता, मैं जानता हूँ तुम्हारी यादें अब भी मेरे भीतर हैं, जो सिगरेट के धुंए के रूप में कहीं गहराई पकड चुकी है जहाँ से उसे बाहर निकालना लगभग नामुमकिन सा है। मैं जानता हूँ वो यादें कभी बाहर नहीं आने वाली, अगर आई भी तो आएंगी कोई नासूर बनकर, जिनका जब जाने का समय आएगा तब साथ जाना पड़ जाएगा मुझे भी। तब वो एक बार फिर से धुएँ का रूप लेंगी मुझे भी अपने साथ धुआँ बनाकर उड़ा ले जाने के लिए। लेकिन इतना होने पर भी न ही तुम्हारी यादें मुझसे छूट पाएंगी और न ही मैं तुम्हारी यादों से।।                 ...

मैं तुम्हें नहीं जानता

एक कोशिश में, कोशिश पूरी हो जाना कितना आसान है और कितना आसान है अपने आप को ये कह देना? कि मैं तूम्हें नहीं जानता, और न ही जानता हूँ तुम्हारे दुखों को, तुम्हारे दर्द, तुम्हारी पीड़ा से मेरा कोई लेना देना नहीं है। मुझे नहीं है परवाह तुम्हारे आसुओं की न ही मैं तुम्हारी चींखें सुनाना चाहता हूँ और सिसकियाँ तो बिल्कुल नहीं। तुम रो-धो लो, अपनी परेशानीयाँ मुझे बताओ नहीं मेरे पास ये सब सुनने-सुनाने का समय नहीं। मुझे बहुत काम करना है, मैं बहुत जल्दी में हूँ कई सवाल हल करने हैं, कई पहाड़ चढने हैं रास्ते खोदने हैं, जिसके लिए मूझे बहुत ताकत चाहिए। मैं अपनी ताकत फ़ालतू कामों में नहीं लगा सकता मैंनें देखा है तुम्हें, तुम्हारी ताकत को बेमतलब ख़र्च होते और पाया है तुम्हें अकेला हर बार बिलखते। जीवन ने तुम्हें धरातल पर बार बार पटका तुमने औरों को कोसा पर नहीं उसमें तुम्हारी ग़लती थी हाँ, बस तुम्हारी कमी के कारण तुम अब तक चलकर भी कहीं न पहुँचे। मुझे तुम्हारे जैसा नहीं होना, इसलिए मैंनें दूरी बना ली है तुमसे और कर लिया है अपने को तुमसे अलग़, सच कहूँ तो मैं अब तुम्हें जानता तक नहीं। मैं...

आधी रात

जागती आधी ख़ामोश रात और चुप सी तन्हाई में हम दोनों। तुम उस कमरे में, मैं इस कमरे में तुम वहाँ अंदर, मैं यहाँ बाहर तुम भी जागी मैं भी जागा तुम भी चुप मैं भी चुप एक ही शोर दोनों के भीतर, इस कमरे से कमरे के बीच की ये दूरी और इस दूरी के दरमियां वो जो हो चुका वो जो हुआ नहीं, वो जो हो सकता था। हम दोनों के इक-दूजे की ओर उठते क़दम जो बार बार ठहर रहें हैं। न जाने ये कोई डर है या कुछ और तुम्हारा जागकर मेरे बारे में सोचना मेरा जागकर तुम्हारे बारे में लिखना। फिर सारी रुकावटें भेद कर तुम्हारा अचानक से बाहर आकर मुझे घूरना और कहना। तुम्हें अपने घर चले जाना चाहिए।  इन शब्दों ने मेरी हर कविता की कमर तोड़ दी और मेरे सारे भ्रम।।                                     ।। गौरव प्रकाश सूद।। #ऐसावैसाwriter 29 अगस्त 2025 05:56