तुम्हें याद है तुम्हारे जाने से पहले हम दोनों बीच पर गए थे और तुम हमेशा की तरह ज़बरदस्ती मुझे खींचकर पानी में ले जाना चाहती थी, तुम्हारी बहुत कोशिश करने पर भी मैंनें तुम्हारी बात नहीं मानी, तुम रूठ सी गई फिर तुम्हारा ध्यान भटकाने के लिए मैंनें मसाला चने ख़रीद तुमको थमा दिए जिसे बिना चखे तुम चनेवाले के पास ले गई और उसमें और भी मसाला डलवा दिया, मैं तुम्हें कुछ न कह सका इस डर से के तुम कहीं फिरसे न रूठ जाओ। तभी एक कमज़ोर सा जवान लड़का छोटे से कैमरे पर बड़ा लैंस लगाए हम दोनों तक आया और अपने हाथ में पकड़ी चार-पाँच तस्वीरें तुम्हारी आँखों के सामने कर दीं। तुमने फोटो खिंचवाने की इच्छा जताई, मैंनें भी हाँ में सिर हिलाया, पर तुमने चाहा के पहले चने खाकर हाथ खाली कर लिए जाएं तभी फोटो खिंचेंगी चुँकि तुम्हें अच्छे - खासे पोज़ भी देने थे। तो फोटोग्राफर हमसे थोड़ी दूर ही खड़ा रहा ताकि जैसे ही तुम्हारे चने ख़त्म हों वो अपनी कमाई कर सके। चने ख़त्म होने के बाद तुमने फोटो के लिए हामी की और मैं तुम्हारा हाथ पकड़ तुम्हें पानी में ले गया, तुम बहुत खुश और इच्छुक लग रही थी, हमने एक साथ कई तस्वीरें खिंचाई इतनी...
ये जो घर से बाहर के लोग होते हैं न, ये कहीं के नहीं होते। कुछ बनने के लिए, कुछ करने के लिए बाहर चले जाते हैं और वहाँ भी बाहर के ही रहते हैं। कभी-कभी, किसी बहाने से घर आते हैं, पर घर अब अपना रहा कहाँ, अब अपने ही घर में मेहमान से हो गए हो। कहने को ठीकाने दो-दो होते हैं, एक घर और एक बाहर पर सच में तो इनका कोई ठिकाना होता ही नहीं। सालों लगा देते हैं कोई ठौर बनाने में,पर कोई ठौर मिलती ही कहाँ है। सपने बहुत आते हैं पर निंद पलभर भी नहीं प्यार सबसे करते हैं पर पास कोई भी नहीं कभी-कभी लगता है कोई साथी भी है शायद पर साथ कौन होता है। जैसे एक सांस आने के बाद उसका लौटना ज़रूरी होता है न ठीक वैसे ही ज़रुरी हो जाता है घर से वहाँ लौटना जहाँ ये रहते हैं या जीते हैं या बस जीवन काट रहें होते हैं । वही जो इनका घर नहीं आफ़िस होता है और कोई अपने काम से या आफ़िस से कितना भी प्यार करता हो लेकिन वहाँ से लौटना ज़रूरी है। पर अब लौटे कहाँ, अब ये अपने शहर-अपने गाँव में मेहमान से हो गए हैं, अब न इनको अपना घर अपना लगता है, न शहर न गाँव, घर के जिस कौने या क़मरे को ये अपना समझा करते थे, अब वो भी इनको भूल गय...
INTER: DAY दो दोस्त बैठकर बात कर रहें हैं, बीच में एक बच्ची चाय लेकर आती है। बाप चाचू को हलो बोलो बेटा। बच्ची (मुस्कुरा कर चाय देते हुए) हलो चाचू। चाचू (चाय उठाते हुए) हलो बेटा, what grade you studying? बच्ची रुआँसा मुँह बनाकर चली जाती है। बच्ची को जाता देखकर दोस्त अपने दोस्त की तरफ़ सवालिय...
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