मैं तुम्हें नहीं जानता
एक कोशिश में, कोशिश पूरी हो जाना कितना आसान है
और कितना आसान है अपने आप को ये कह देना?
कि मैं तूम्हें नहीं जानता, और न ही जानता हूँ तुम्हारे दुखों को, तुम्हारे दर्द, तुम्हारी पीड़ा से मेरा कोई लेना देना नहीं है।
मुझे नहीं है परवाह तुम्हारे आसुओं की
न ही मैं तुम्हारी चींखें सुनाना चाहता हूँ
और सिसकियाँ तो बिल्कुल नहीं।
तुम रो-धो लो, अपनी परेशानीयाँ मुझे बताओ
नहीं मेरे पास ये सब सुनने-सुनाने का समय नहीं।
मुझे बहुत काम करना है, मैं बहुत जल्दी में हूँ
कई सवाल हल करने हैं, कई पहाड़ चढने हैं
रास्ते खोदने हैं, जिसके लिए मूझे बहुत ताकत चाहिए।
मैं अपनी ताकत फ़ालतू कामों में नहीं लगा सकता
मैंनें देखा है तुम्हें, तुम्हारी ताकत को बेमतलब ख़र्च होते
और पाया है तुम्हें अकेला हर बार बिलखते।
जीवन ने तुम्हें धरातल पर बार बार पटका
तुमने औरों को कोसा पर नहीं उसमें तुम्हारी ग़लती थी
हाँ, बस तुम्हारी कमी के कारण
तुम अब तक चलकर भी कहीं न पहुँचे।
मुझे तुम्हारे जैसा नहीं होना, इसलिए मैंनें दूरी बना ली है तुमसे
और कर लिया है अपने को तुमसे अलग़,
सच कहूँ तो मैं अब तुम्हें जानता तक नहीं।
मैं तूम्हें नहीं जानता, और न ही जानता हूँ तुम्हारे दुखों को,
तुम्हारे दर्द, तुम्हारी पीड़ा से मेरा कोई लेना देना नहीं है।
।। गौरव प्रकाश सूद।।
#ऐसावैसाwriter
01 सितम्बर 2025
02:17
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