धुंधली पड़ती तस्वीरें

तुम्हें याद है तुम्हारे जाने से पहले हम दोनों
बीच पर गए थे और तुम हमेशा की तरह ज़बरदस्ती मुझे खींचकर पानी में ले जाना चाहती थी, तुम्हारी बहुत कोशिश करने पर भी मैंनें तुम्हारी बात नहीं मानी, तुम रूठ सी गई फिर तुम्हारा ध्यान भटकाने के लिए मैंनें मसाला चने ख़रीद तुमको थमा दिए जिसे बिना चखे तुम चनेवाले के पास ले गई और उसमें और भी मसाला डलवा दिया, मैं तुम्हें कुछ न कह सका इस डर से के तुम कहीं फिरसे न रूठ जाओ। तभी एक कमज़ोर सा जवान लड़का छोटे से कैमरे पर बड़ा लैंस लगाए हम दोनों तक आया और अपने हाथ में पकड़ी चार-पाँच तस्वीरें तुम्हारी आँखों के सामने कर दीं। तुमने फोटो खिंचवाने की इच्छा जताई, मैंनें भी हाँ में सिर हिलाया, पर तुमने चाहा के पहले चने खाकर हाथ खाली कर लिए जाएं तभी फोटो खिंचेंगी चुँकि तुम्हें अच्छे - खासे पोज़ भी देने थे।
तो फोटोग्राफर हमसे थोड़ी दूर ही खड़ा रहा ताकि जैसे ही तुम्हारे चने ख़त्म हों वो अपनी कमाई कर सके।
चने ख़त्म होने के बाद तुमने फोटो के लिए हामी की और मैं तुम्हारा हाथ पकड़ तुम्हें पानी में ले गया, तुम बहुत खुश और इच्छुक लग रही थी, हमने एक साथ कई तस्वीरें खिंचाई इतनी कि फोटो वाले छोटू की तो चाँदी हो गई। फिर तुमने अपनी सोलो फोटोज़ करवाई, पानी पर शाम के ढलते सूरज की किरणों की तरह तुम लहरों पर चमक़ छिड़कती जा रही थी जो बार-बार छिटककर मेरे गालों और आँखों को निखार रही थी।
अगली सुबह तुम्हें अपने घर लौटना था, मेरा मन बड़ा भारी था,
तुम रोज़ कहती थी कि "मन्नु, मुझे तुम्हारी आदत हो रही है।" और मैं किसी न किसी तरह से बात टाल दिया करता था। 
सच कहूँ तो मुझे उसी सुबह एहसास हुआ कि मैं उस बात को क्यों टाला करता था, सच कहूँ तभी मुझे एहसास हुआ कि "मुझे भी तुम्हारी आदत हो गई है।"
मेरी भावुकता जिसे मैंनें हफ़्तों से दबाए रख्खा था अचानक से फूटने लगी और मैंनें अपना चेहरा दूसरी ओर घुमा लिया, तुमने मेरे भाव पहचान मुझे पीछे से ही कसके पकड़ लिया और घूमकर मेरे सामने आ खड़ी हुई।
मैंनें तुम्हें गले लगा लिया इस भाव से कि तुम्हें कभी-कहीं नहीं जाने दूंगा, पर सच हम दोनों जानते थें और वो सच ये था कि
"तुम्हें जाना ही था।"
तुम जाते हुए अपने बैग में ज़्यादातर तस्वीरें अपने साथ ही ले गईं।

ख़ैर, आज तुम्हें गए 7 दिन हो गए, पर तुम्हारी कुछ तस्वीरें जो तुम मेरे पास छोड़ गई इस समय भी मेरे सीने पर लेटी हैं और रोज़ थोड़ी-थोड़ी धुंधली हो रहीं हैं।
अब डर भी लगने लगा है कि कहीं ये तस्वीरें पूरी तरह धुंधली न पड़ जाए पर मेरा ये डर तुम्हें मेरे जीवन और इन तस्वीरों से जाने से रोक तो नहीं सकता न।
                                                ।। गौरव प्रकाश सूद।।
#दर्दकाकारवां 
#ऐसावैसाwriter 
13 फरवरी 2025
16:00 

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