के के बित्ती मेरे ऊप्पर
के के बित्ती मेरे उप्पर
मैं सारी खोल बता र्या रै
मेरी गैल्या रोया आसमान भी
और पाणी बरसा खारा रै।।
तेरी गैल्या मैं भी रहणा चाहूँ
पर पाछ्छै कदम हटा रा मैं
क्यूकर तेरतै नजर मिलाऊँ
जमा कुछ भी समझ न आर्या रै।।
तनै देवत मान्ना, पुज्जा सूं मैं
और जी जान तै मरै सै तू
मनै कदै किसे तै मिला नहीं जो
प्यार मेरे तै करै सै तू।।
तनै आदर मान सम्मान दिया सै
पर मैं भी कीसा पाप्पी सूं
इतनी सी तेरी क़दर करी न
और पक्का सत्यानाशी सूं।।
मनैं प्रीत लजा दी, वचन तोड़ दिया
किसे चीज़ पै खरा न उतरा मैं
मन की कालस उतरी कोन्या
बेसक सूरत का सुथरा मैं।।
बस एक अरज सै तेरे तै
मनैं छोड़ चली जा दूर कती
हरै मैं पाप्पी, जुल्मी रावण सा
तू सीत्ता तू खरी सती।।
मनै धोख्खा कर्या था गैल तेरी
माडा सा कुछ भी सोच्चा न
नीच मेरे तै नहीं कोई भी
और कोए मेरे तै ओच्छा न।।
पाणी भी हजम न होत्ता मेरा
मेरा सारा माट्टी बल हो ग्या
यो जीवन इक जहर लगै और
जग सारा दलदल हो ग्या।।
।। गौरव प्रकाश सूद।।
#दर्दकाकारवां
#ऐसावैसाwriter
24 अगस्त 2025
01:30
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