"ठीक है"

लहू बहा और जिस्म मेरा तार तार हो गया
इस बार तीर दिल के पूरा आर पार हो गया
अब महज़ सीना धड़कता रहे तो ठीक है
अब अगर ये कारवां चलता रहे तो ठीक है।। 

तकलीफ़ से ये आँखें मेरी जार जार रो ही दीं
होंठों ने मुस्कान अपनी ख़ैर आज खो ही दी
अब महज़ साया मेरा लड़कता रहे तो ठीक है
अब अग़र ये कारवाँ चलता रहे तो ठीक है।।

इस उम्र में ही हाथों में मेरे ऐसी कंपकंपी उठी
सांसों की रफ़्तार में ये कैसी संकसंकी उठी
अब महज़ कोई अंग बस हिलता रहे तो ठीक है
अब अगर ये कारवां चलता रहे तो ठीक है।।

कोई और था नहीं ये सारे अपनों के ही वार थे
हम भी खड़े थे राह में पूरी तरह तैयार थे
अब जी मेरा यहाँ तहाँ भटकता रहे तो ठीक है
अब महज़ ये कारवां चलता रहे तो ठीक है।।

                                ।। गौरव प्रकाश सूद।।
#ऐसावैसाwriter
11 अगस्त 2025
09:40


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