संबंध

मन को पीड़ा झंकझौर है देती और सांस देह से छुटती हैं 
प्रीत मीत और हीत की वाणी जब तीर की भांति चुभती हैं
मुख से कुछ बोलो न बोलो पर मन हर क्षण कतराता है
जब सबंध छूटे कोई तो जीवन जीते जी मर जाता है।।
                                                    ।। गौरव प्रकाश सूद।।
#दर्दकाकारवां
#ऐसावैसाwriter
09 अगस्त 2025
21:18

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