स्थितप्रज्ञ
स्थितप्रज्ञ होकर भी मैं स्थिर न रह सका
हर कोई छूट गया, अपनत्व ढूंढने में
मेरे से मुझ तलक में अंतर है इतना अब भी
जो है फूलों के टूटने में, कलियों के फूटने में।।
।। गौरव प्रकाश सूद।।
#ऐसावैसाwriter
स्थितप्रज्ञ होकर भी मैं स्थिर न रह सका
हर कोई छूट गया, अपनत्व ढूंढने में
मेरे से मुझ तलक में अंतर है इतना अब भी
जो है फूलों के टूटने में, कलियों के फूटने में।।
।। गौरव प्रकाश सूद।।
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