"काफ़ी है"
जब प्रीत को ठीक से समझोगे
आकर वापिस न जाओगे
जब भी दस्तक दोगे दिल पर
सब पहले जैसा पाओगे।।
कुछ टीस भरी जो बातें थीं
जो इतनी भी थीं खास नहीं
वो बातें भी बिसरा डाली अब
कुछ भी दोनों के पास नहीं।।
पलकों के भीतर सूखा सा
ठहरा सा एक समुंदर है
होंठों पर मौन का पहरा है
कितना कुछ दिल के अंदर है।।
सबकुछ टूटा-फूटा सा है
फिर भी उम्मीदें बाक़ी हैं
तुम मिलकर धड़कन छू लेना
बस इतना प्यार ही काफ़ी है।।
।। गौरव प्रकाश सूद। ।
#दर्दकाकारवां
#ऐसावैसाwriter
01 सितम्बर 2024
22:50
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