माँ
एक लड़का एक्टर बनने के लिए घर से दूद चला जाता है। बहुत मेहनत करने के बाद भुल कुछ खास नहीं कर पाता।
तो अपने खर्चे पूरे करने के लिए छोटे - मोटे काम करता रहता है, जैसे होम डिलिव्हरी वगैरह-वगैरह। वो इसी डर से घर भी नहीं जाता कि घर वाले क्या सोचेंगे। बहुत मेहनत कर करके वो पैसे जोड़ता है और घर जाता है, अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई से घर वालों के लिए कुछ न कुछ लेता है जो सामान घर पहुंचते-पहुंचते किसी से ख़राब हो जाता है। वो किसी को कुछ नहीं कहता बस रोता रहता है और सामान उठाता रहता है। उसी आधे-अधूरे सामान के साथ वो घर पहुँचता है। माँ उसे देखकर बहुत रोती है, लड़के अपने आँसूं रोक लेता है और ख़ुशी से सबसे मिलता है। एक दिन उसके घर वालों को पता चल जाता है कि वो "होम डिलिव्हरी" जैसे काम कर करके गुज़ारा कर रहा है। घर वाले उसे कुछ नहीं कहते। वो एहसास नहीं दिलाना चाहते उसे कि कोई काम छोटा-बड़ा होता है। पर गर के पास में ही उसका चाचा रहता है जिसे ये डर है कि उसके भाई के बच्चें कामियाब न हो जाएं। उसे जैसे ही पता चलता है कि लड़का होम डिलिव्हरी करता है तो वो इधर-उधर उसका मज़ाक़ बनाता है, लड़का सुन लेता है और अपने चाचा को कहता है कि कोई चोरी - डाका नहीं मारता मेहनत करता हूँ। उसका चाचा स्कूटी पर बैठ लड़के के सामने से निकलते हुए तंज मारता है "ये बनेगा हीरो" लड़का सुनकर कहता है "बनूंगा, तू रोकके दिखा दे"
उसके चाचा को गुस्सा आता है और वो स्कूटी छोड़ लड़के को डंडे से मारने आता है, वो डंडा लड़के की तरफ़ फेंकता है जो लड़के की माँ को लग जाता है लड़का भी वही डंडा उठा उसे पीटता है। बहुत पीटता है। तभी चाचा के दोनों बेटे भी डंडे और पत्थर लेके लड़के को मारने आते हैं और लड़के की माँ को मारना शुरू कर देते हैं।
वो लड़के की माँ यानि अपनी बड़ी माँ को मारना शुरू कर देते हैं। लड़के ने अब चाचा को पीट-पीटकर ठंडा कर दिया और वो भी अब तेज़ी से चाचा के लड़कों की तरफ़ बढ़ता है। दोनों को बहुत मारता है, वो भुल मारते हैं पर अंत तक लड़का खड़ा रह जाता है। अब लड़के ने ठान ली है कि कुछ भी करना पड़े जल्दी कामयाब होना है। वो सारे हत्थकंडे, साम, दाम, दंड, भेद अपनाता है और कामयाबी हासिल कर लेता है। वो कई घर ख़रीद चुका होता है। वो किसी की शादी के लिए घर जाता है, सबकुछ ठीक होता है। वहाँ इसको भी एक लड़की पसंद आती है, सब चाहते हैं कि दोनों शादी कर लें। पर एक दिन अचानक इसकी तबियत ख़राब हो जाती है। इसे सुबह उस लड़की से मिलने जाना है, ये जाग चुका है पर उठ नहीं पा रहा, न ही कुछ बोल सका। बेहोश सा पड़ा रहता है गर में कोई नहीं है। खुली आँखों से इसे एक युद्द भूमि दिखती है जहाँ ये डट कर लड़ रहा होता है और सबको हरा देता है। फिर अपने ही फ़ायदे के लिए उन्हें भी मार देता है जो इसके साथ खड़े होकर लड़ रहे थे और सबसे जीत जाता है। यहाँ बिस्तर पर ही पड़े-पड़े इसे बंद दरवाज़े से 3,4 लड़के अंदर आते दिखते हैं जो इसके सामने आकर हंसते हैं और कपड़े उतारकर इसके बाथरुम में नहाने चले जाते हैं। इसकी कुछ समझ नहीं आ रहा ये बेहोश सा है। बाथरुम से पानी गिरने की आवाज़ आती है ये अचानक उठकर बाथरुम में भागता है, वहाँ कोई नहीं होता। और ये जैसे ही पानी चलाना चाहता है तो इसे एहसास होता है कि ये इसका बाथरुम नहीं है। वो लड़के की माँ यानि अपनी बड़ी माँ को मारना शुरू कर देते हैं। लड़के ने अब चाचा को पीट-पीटकर ठंडा कर दिया और वो भी अब तेज़ी से चाचा के लड़कों की तरफ़ बढ़ता है। दोनों को बहुत मारता है, वो भुल मारते हैं पर अंत तक लड़का खड़ा रह जाता है। अब लड़के ने ठान ली है कि कुछ भी करना पड़े जल्दी कामयाब होना है। वो सारे हत्थकंडे, साम, दाम, दंड, भेद अपनाता है और कामयाबी हासिल कर लेता है। वो कई घर ख़रीद चुका होता है। वो किसी की शादी के लिए घर जाता है, सबकुछ ठीक होता है। वहाँ इसको भी एक लड़की पसंद आती है, सब चाहते हैं कि दोनों शादी कर लें। पर एक दिन अचानक इसकी तबियत ख़राब हो जाती है। इसे सुबह उस लड़की से मिलने जाना है, ये जाग चुका है पर उठ नहीं पा रहा, न ही कुछ बोल सका। बेहोश सा पड़ा रहता है गर में कोई नहीं है। खुली आँखों से इसे एक युद्द भूमि दिखती है जहाँ ये डट कर लड़ रहा होता है और सबको हरा देता है। फिर अपने ही फ़ायदे के लिए उन्हें भी मार देता है जो इसके साथ खड़े होकर लड़ रहे थे और सबसे जीत जाता है। यहाँ बिस्तर पर ही पड़े-पड़े इसे बंद दरवाज़े से 3,4 लड़के अंदर आते दिखते हैं जो इसके सामने आकर हंसते हैं और कपड़े उतारकर इसके बाथरुम में नहाने चले जाते हैं। इसकी कुछ समझ नहीं आ रहा ये बेहोश सा है। बाथरुम से पानी गिरने की आवाज़ आती है ये अचानक उठकर बाथरुम में भागता है, वहाँ कोई नहीं होता। और ये जैसे ही पानी चलाना चाहता है तो इसे एहसास होता है कि ये इसका बाथरुम नहीं है ये बार-बार देखता है कि बाथरुम बदल रहें हैं पर इसका बाथरुम कोई भी नहीं है।
ये घबराकर दरवाज़े की तरफ़ भागता है, जाली से बाहर देखता है इसे 12,15 औरतें दिखती हैं सार माँ जैसी दिखती हैं और हर औरत के सामने कोई न कोई लड़की बैठी हैं जिनकी पीठ ही दिख रही है। ये बहुत जान लगाकर बाथरुम से ही माँ-माँ पुकारना शुरू कर देता है। और दरवाज़े पर भी आकर माँ को बुलाओ, माँ को बुलाओ चिल्लाता है। कोई एक लड़की उठती है और इसकी तरफ़ गर्दन घुमाकर देख मुस्कुराती है, ये इस लड़की को जानता है पर ये तो मर चुकी थी, क्योंकि ये भी एक एक्ट्रेस थी, इसी की दोस्त जो मार दी गई थी पर इस लड़के ने लालच के लिए किसी को नहीं बताया कि लड़की की हत्या हुई है, बाद में वो सुसाइड साबित हो गई।लड़का ज़्यादा कुछ समझ नहीं पा रहा, बाहर जो औरतें बैठी हैं वो माँ जैसी दिखती हैं और सब एक साथ सामने बैठी लड़कियों को बता रही है कि ये माँ से कितना प्यार करता है, इसे डर में बस माँ ही साथ चाहिए। उनके सामने बैठी लड़कियों की ज़ोर-ज़ोर से हंसने की आवाज़ें आती हैं वो डर के मारे कमरे की तरफ़ पलटा है तो वो सब लोग नज़र आ जाते हैं जिनको इसने इस्तेमाल किया था, ये फिर वहाँ खुली आँखों से एक सपना देखता है "युद्ध के बाद ये अपनी जयजयकार कर रहा है और अपनी माँ को बता रहा है कि मैंनें सबको हरा दिया और मुझे एक खंरौच तक नहीं आई माँ" माँ दर्द में कर्राहती हुई अपना हाथ पकड़ कर रोते हुए कहती है पर मुझे बहुत चौंट आई बेटा, वो कभी हाथ पकड़ती है तो कभी अपनी पीठ और अंत में अपनी छाती पकड़ सुबकती है। लड़का जो योद्धा के रूप में है वो अपनी माँ कि ये हालत देख नहीं पाता। देखते-देखते माँ खाई से गिर जाती है,ये बार-बार देखता है कि बाथरुम बदल रहें हैं पर इसका बाथरुम कोई भी नहीं है।
ये घबराकर दरवाज़े की तरफ़ भागता है, जाली से बाहर देखता है इसे 12,15 औरतें दिखती हैं सार माँ जैसी दिखती हैं और हर औरत के सामने कोई न कोई लड़की बैठी हैं जिनकी पीठ ही दिख रही है। ये बहुत जान लगाकर बाथरुम से ही माँ-माँ पुकारना शुरू कर देता है। और दरवाज़े पर भी आकर माँ को बुलाओ, माँ को बुलाओ चिल्लाता है। कोई एक लड़की उठती है और इसकी तरफ़ गर्दन घुमाकर देख मुस्कुराती है, ये इस लड़की को जानता है पर ये तो मर चुकी थी, क्योंकि ये भी एक एक्ट्रेस थी, इसी की दोस्त जो मार दी गई थी पर इस लड़के ने लालच के लिए किसी को नहीं बताया कि लड़की की हत्या हुई है, बाद में वो सुसाइड साबित हो गई।लड़का ज़्यादा कुछ समझ नहीं पा रहा, बाहर जो औरतें बैठी हैं वो माँ जैसी दिखती हैं और सब एक साथ सामने बैठी लड़कियों को बता रही है कि ये माँ से कितना प्यार करता है, इसे डर में बस माँ ही साथ चाहिए। उनके सामने बैठी लड़कियों की ज़ोर-ज़ोर से हंसने की आवाज़ें आती हैं वो डर के मारे कमरे की तरफ़ पलटा है तो वो सब लोग नज़र आ जाते हैं जिनको इसने इस्तेमाल किया था, ये फिर वहाँ खुली आँखों से एक सपना देखता है "युद्ध के बाद ये अपनी जयजयकार कर रहा है और अपनी माँ को बता रहा है कि मैंनें सबको हरा दिया और मुझे एक खंरौच तक नहीं आई माँ" माँ दर्द में कर्राहती हुई अपना हाथ पकड़ कर रोते हुए कहती है पर मुझे बहुत चौंट आई बेटा, वो कभी हाथ पकड़ती है तो कभी अपनी पीठ और अंत में अपनी छाती पकड़ सुबकती है। लड़का जो योद्धा के रूप में है वो अपनी माँ कि ये हालत देख नहीं पाता। देखते-देखते माँ खाई से गिर जाती है, ये बार-बार देखता है कि बाथरुम बदल रहें हैं पर इसका बाथरुम कोई भी नहीं है।
ये घबराकर दरवाज़े की तरफ़ भागता है, जाली से बाहर देखता है इसे 12,15 औरतें दिखती हैं सार माँ जैसी दिखती हैं और हर औरत के सामने कोई न कोई लड़की बैठी हैं जिनकी पीठ ही दिख रही है। ये बहुत जान लगाकर बाथरुम से ही माँ-माँ पुकारना शुरू कर देता है। और दरवाज़े पर भी आकर माँ को बुलाओ, माँ को बुलाओ चिल्लाता है। कोई एक लड़की उठती है और इसकी तरफ़ गर्दन घुमाकर देख मुस्कुराती है, ये इस लड़की को जानता है पर ये तो मर चुकी थी, क्योंकि ये भी एक एक्ट्रेस थी, इसी की दोस्त जो मार दी गई थी पर इस लड़के ने लालच के लिए किसी को नहीं बताया कि लड़की की हत्या हुई है, बाद में वो सुसाइड साबित हो गई।लड़का ज़्यादा कुछ समझ नहीं पा रहा, बाहर जो औरतें बैठी हैं वो माँ जैसी दिखती हैं और सब एक साथ सामने बैठी लड़कियों को बता रही है कि ये माँ से कितना प्यार करता है, इसे डर में बस माँ ही साथ चाहिए। उनके सामने बैठी लड़कियों की ज़ोर-ज़ोर से हंसने की आवाज़ें आती हैं वो डर के मारे कमरे की तरफ़ पलटा है तो वो सब लोग नज़र आ जाते हैं जिनको इसने इस्तेमाल किया था, ये फिर वहाँ खुली आँखों से एक सपना देखता है "युद्ध के बाद ये अपनी जयजयकार कर रहा है और अपनी माँ को बता रहा है कि मैंनें सबको हरा दिया और मुझे एक खंरौच तक नहीं आई माँ" माँ दर्द में कर्राहती हुई अपना हाथ पकड़ कर रोते हुए कहती है पर मुझे बहुत चौंट आई बेटा, वो कभी हाथ पकड़ती है तो कभी अपनी पीठ और अंत में अपनी छाती पकड़ सुबकती है। लड़का जो योद्धा के रूप में है वो अपनी माँ कि ये हालत देख नहीं पाता। देखते-देखते माँ खाई से गिर जाती है, योद्धा ये देख नहीं पाता और ज़ोर से दहाड़ते हुई घुटनों के बल गिर जाता है। यहाँ लड़का होश में आता है और अंदर से भी चींखने की आवाज़ आती है। ये दौड़कर कमरे में जाता है। माँ मर चुकी होती है। सारे घर वाले माँ के आसपास बैठे होते हैं। किसी को नहीं पता माँ कैसे मरी और लड़का माँ के पास आके रो-रोकर मर जाता है।
।। गौरव प्रकाश सूद ।।
#दर्दकाकारवां
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23 मई 2024
13:50
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