"जो साथ हुआ करते थे अब वो साथ नहीं बाक़ी "
जो साथ हुआ करते थे, अब वो साथ नहीं बाक़ी
यारों के फिर से मिलने की कोई आस नहीं बाक़ी
राहों पर तो टकरा गए आज फिर से वो दोनों
पर कहते क्या कहने को अब कोई बात नहीं बाक़ी।।
जो सुबह-शाम, इक-दूजे के बस पास हुआ करते थे
पृथक नहीं थे एक पंथ दो काज हुआ करते थे
अब सामने आते हैं तो रास्ता ही बदल लेते हैं
मिलके रहने की प्यास थी जो वो आज नहीं बाक़ी।।
ऐसे भंवरें जिनसे बाग़ों के फूल भी खिलते थे
जिस यारी की चमक देख तारें भी हिलते थे
न जाने कब कैसे ऐसी यारी का सूरज डूब गया
रातों के नज़ारें खिले कहाँ अब चाँद नहीं बाक़ी।।
कोई ठौर कहाँ थी हाथ पकड़ जाते थे उड़-उड़कर
दीवानी दुनियाँ दीवानों को बस देखती मुड़-मुड़कर
काल ने अपने छल से दोनों के हाथ छुड़ा डाले
अब उड़ने की इच्छा भी नहीं कोई पंख नहीं बाक़ी
जो साथ हुआ करते थे, अब वो साथ नहीं बाक़ी
यारों के फिर से मिलने की कोई आस नहीं बाक़ी
राहों पर तो टकरा गए आज फिर से वो दोनों
पर कहते क्या कहने को अब कोई बात नहीं बाक़ी।।
।। गौरव प्रकाश सूद ।।
#दर्दकाकारवां
#ऐसावैसाwriter
05 सितम्बर 2023
08:15 pm
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