"फिर से मिलने के लिए "
मेरा रास्ता जब तुम तक पहुँचेगा
तब-तक तुम जा चुकी होगी।
और भूल चुकी होगी तुम्हारी झमाही पर पड़ी
मेरी नर्म चुटकियां, अंगड़ाईंयों पर होंठों से निकली फूंक।
धुल चुके होंगे तुम्हारी लटों पर जमे मेरी अंगुलियों के निशान
मिट चुकी होंगी तुम्हारी धड़कनों पर पड़ी मेरी मीठी यादों की थाप।
आज जब तुम लौट रही थी तो तुमने मुझे छूकर अलविदा कहा।
मैं ये भी न कह सका कि मुझे अलविदा सुनना पसंद नहीं।
कहकर भी क्या होता, तुम रुक थोड़ी जाती,
ठहर थोड़ी जाती मेरे पास हमेशा के लिए।
पर मैं तुम्हें नम आँखों से जाते देखता रहा
और तुमने भी मुझे बार-बार पलट कर देखा।
जिसने मेरी आशाओं को फिर से जीवित कर दिया।
तुम्हारे सीढ़ियों पर चढ़ते ही मैंनें अपने-आप से पूछा
क्या तुम मुझे फिर से मुड़कर देखोगी?
ऐसा कहते ही तुमने मुझे इस तरह से देखा
जैसे तुमने सुन लिया हो।
तुम्हारी नज़रें मूझे ढूंढ रही थी और मैं जहाँ खड़ा था वहाँ से हाथ हिला रहा था, तुम मुझे नहीं देख पाई पर मैं देख चुका था-
तुम्हारी इधर-उधर घूमती गर्दन में मेरे लिए
उत्सुकता और नज़रों में प्यास।
मैं देख चुका था तुम्हारे दिल में मेरे लिए बना स्थान
जिसे पाकर मैं फिर से जी उठा।
मैं नहीं जानता तुम कब आओगी या हम जीवन में फिर कब मिलेंगे
पर तुम्हारा मुड़ना मुझे याद रहेगा और भरता रहेगा मुझमें सांसों को
जीवित रहने के लिए, फिर से मिलने के लिए।।
।। गौरव प्रकाश सूद ।।
#दर्दकाकारवां
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07 अगस्त 2023
11:00 pm
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