देख लिया
दौलत - शौहरत नहीं देखी
पर मैंनें ज़माना देख लिया
इस दिल में मौसम की तरह
सबका आना-जाना देख लिया।।
महफ़िल में बेक़दरों का
झूठा तराना देख लिया
क़समें तोड़के हरजाईयों
का गंगा नहाना देख लिया।।
जज़्बातों का ख़ून करके
झूठे लोर बहाना देख लिया
टुकड़े करके दिल की बोटी
बोटी चबाना देख लिया।।
फूल उठाकर देखा नहीं पर
दुख़ का उठाना देख लिया
सबकुछ देकर बेग़ैरत से
धोखा पाना देख लिया।।
गौरव प्रकाश सूद ।।
#दर्दकाकारवां
#ऐसावैसाwriter
12 जून 2023
01:00 am
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