जेबें खाली
जेबें खाली, हाथ खाली
नसीब खाली, हर बात खाली।।
मेरे फलों के बाग़ में
हर पेड़ खाली हर डाल खाली।।
खाली भेजे में सोच खाली
दिन-रात, दोपहर-रोज़ खाली।।
क़िस्मत ने दी जो चोट खाली
भरी जवानी में होंठ खाली।।
खाली बटवे का बोझ खाली
मोबाईल का इंबाक्स खाली।।
खाली बदन का पेट खाली
ज़मानेभर के टैलेंट का रेट खाली।।
खाने बैठो तो प्लेट खाली
नज़राना मांगो तो सेठ खाली।।
27 में मेरी बाहें खाली
तन्हाँ राही और राहें खाली।।
गौरव प्रकाश सूद
#दर्दकाकारवां
#ऐसावैसाwriter
10:30 pm
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