मैकबेथ
आओ सारा नै एक बात सुणाऊँ, कठ्ठे करकै एक राग सुणाऊँ
एक शक्तिशाली देश के कैसे, जागतै - सोत्ते भाग सुणाऊँ
मन के भित्तर की आग बणी, क्यूकर शमशाणा की राख सुणाऊँ
होणी, कर्म, लालच की हवा नै कैसे द्वीप बुझाए आज सुनाऊँ
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। हे रै........
स्काटलैंड का एक राजा
दुनियाभर मै जिसका नाम था
देश बड़ा खुशहाल था जिसका
एक-एक सैनिक बलवान था।।
राजा का नाम डंकन था
डंकन के दो ही बेट्टे थे
पिता की आज्ञा का मान रखते
दिन-रात शरण मैं बैठ्ठे थे
डंकन के थे कुछ खास सैनिक
जिनमै तीन बड़े बलवान थे
कोई भीम सेन सा दिखता था
और कोई स्वयं हनुमान थे
मैकबेथ, बैंको, लैनोक्स।
युद्द से कभी नहीं घबराते थे
जिस रणभूमि मै आ जात्ते
दुश्मन का थूक सुखात्ते थे
स्काटलैंड का हर एक कवि
हर कला जिसकी कीर्ति गाती
जहाँ दिख जाता था मैकबैथ
जंग पल भर मै जीती जाती।।
मैकबेथ के मन मैं एक दिन
राज पाठ का लालच आ बैठा
उसके सिर मन हर माथ्थे पै
जब काल का बादल छाँ बैठ्ठा
जिसनै रणभूमि की माट्टी पै
नाम अटल था कर लिया
होणी नै, अपणी चाल खेल
वो वीर भी काब्बू कर लिया
इब मैकबेथ किसे राजा खातर
जंग नहीं लड़ने वाला
अपणी राणी नै बिठा महल मै
ख़ुद राजा है बणने वाला
चाहे राज की खातर दोस्त या
राज्जा का कत्ल करणा पड़ जा
मेरी घरवाली भी नू चावै
हम कुछ भी कर आग्गै बढ़ जा
बस ईब कर कै थकगे भोत गुलामी
हमनै भोत हुक्म डंकन के मान लिए
आज आवेगा जब वो महल मैं म्हारे
उसनै सोत्ती हाणा ए मार दीए
मैकबेथ नै करकै नै हिम्मत
अपणा राजा जी तै मार दिया
एक हाथ के जितना खंजर
डंकन की छात्ती मैं तार दिया।।
अपणे बाप की ऐसी दशा देख
दोनों बेट्टे डर कर भाग गए
पूरे देश पै बिजली सी गिरगी
पर मैकबेथ के भाग जाग गए
सब लोगा नै अनुमान लगाया
इब मैकबेथ का राज्यभिषेक होणा है
हमने डंकन जैसा राजा खो दिया
इब कोई भी नहीं खोणा है
पर मैकबेथ नै राज्जा बणते ही
त्राही त्राही मचा गरी
दोनों मर्द - बीर नै अपणे ही
देश की लंका लगा गरी
मैकडाफ़ जैसे वीर तै
यो नास नहीं देख्खा गया
अपणे कुणबे नै छोड़ कै
देश की खातर कहीं चला गया
जा पहुँचा वो ब्रिटेन मैं
जहां डंकन के बेट्टे बैठ्ठे थे
म्हारे बाप के प्राण लिए किसनै
बस इस ग़म मैं वो रहत्ते थे।।
एक दिन सबनै युक्ति बणा कै
यो मन मैं फैसला कर लिया
इब और नी जलना स्काटलैंड
जितना जलना था जल लिया
जल्दी सिवार्ड की सेना लेकै
मैकबेथ पै चढाई कर दैंगे
जितने छेद हैं देश की छात्ती मैं
वो एक-एक कर भर देंगे
मैकडाफ़ जैसे वीर के
बच्चे का भी सिर काट दिया
ये नर नहीं कोई पिशाच ही है
जिसके हाथ में राजपाठ दिया
कोए इंसान नहीं उसे मार सके
ये मैकबेथ को धोखा है
पर जान जाएगा वो जल्दी ही
मैकडाफ़ सभी से कितना अनोखा है
ख़बर है फैली पश्चिम मै
उसकी पत्नी पागल होकै मरगी है
इब मैकबेथ की बारी है
पाप की मटकी उसकी भी भरगी है।।
मैकबेथ के पैर काँप गे
जब अंग्रेजी सेना आ धमकी
हर पीड़ा दिल की जाग गी
पर डायन नहीं मरी मन की
उसनै सोचा मेरे ते कोए
राज कैसे लेलैगा
के बेरा था काल एक दिन
सर पै आकै खेलैगा
फेर ऐसी भारी जंग छिड़ी
मौत भी डरकर सो गई
ख़ून बहा कैसे वीरों का
मिट्टी भी लाल हो गई
जंग लड़ते-लड़ते लगा मैकबेथ को
मनै जो कुछ करा, वो ग़लत करा
जब अंत मै मैकबेथ के सिर को
मैकडाफ़ नै धड़ से अलग करा
इब स्काटलैंड फिर से नाच उठा
हर फूल वहाँ का खिल गया
जब डंकन के बेट्टे मैलकाम को
राज सिंहासन मिल गया।।
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