"मैंने तुमको खो कर पाया! " ग़ज़ल

मैंनें तुमको खो कर पाया था
अब फिर से पाकर गंवा दिया
मैंनें दिल से तुमको नहीं निकाला
दिल को सीने से हटा दिया ।।

जो अपने लिए बनाया था
उस घर में किसी को बसा दिया
मैंनें दिल से तुमको नहीं निकाला
दिल को सीने से हटा दिया।।

बड़े अरमानों से सजाया था
वो ख़्वाब किसी को दिखा दिया
मैंनें दिल से तुमको नहीं निकाला
दिल को सीने से हटा दिया।।

कितनी शिद्दत से पकड़ा था
जो हाथ ग़ैर को थमा दिया
मैंनें दिल से तुमको नहीं निकाला
दिल को सीने से हटा दिया।।

एक पल में सबकुछ सौंप दिया
जो बरसों मेहनत से कमाया था
मैंनें दिल से तुमको नहीं निकाला
दिल को सीने से हटा दिया।।

मैंनें तुमको खो कर पाया था
अब फिर से पाकर गंवा दिया
मैंनें दिल से तुमको नहीं निकाला
दिल को सीने से हटा दिया ।।
                 गौरव प्रकाश सूद
#ऐसावैसाWRITER
#दर्दकाकारवां
28 मई 2022
02:38 am

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