मौत ज़ालिम है
मौत ज़ालिम है ये मालूम है
पर ज़िंदगी भी कुछ कम तो नहीं।।
हंसते-हंसते भी आँख नम हैं
हर हंसी में कोई ग़म तो नहीं ।।
ज़ाहिर है कोई रास्ता है
पर रहनुमा एक भरम् तो नहीं ।।
और टूट गया हर रिश्ता यूं हीं
जिसके मुजरिम कहीं हम तो नहीं।।
क़त्ल किया हर ख़्वाब को बेरहमी से
हम सा क़ातिल सारी दुनिया में नहीं।।
#दर्दकाकारवां
#ऐसावैसाwriter
05 फरवरी 2022
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