यादें पुरानी
अपने लैपटॉप को खोल कर
कुछ यादें पुरानी मोड़कर
फिर से आंखों में भर लाया
ख़ुदको कितना रंगी पाया
मैं बचा ही रहा तो अच्छा रहूँगा
यहाँ जचा ही रहा तो अच्छा रहूँगा
जीवनभर रंग से खेलूँगा
और सारी उमर सच्चा रहूँगा
मुझे हिम्मत फिर से मिलती है
मेरे गढ़े हुए किरदारों में
आज भी पर्चे छपे मेरे
रंगमंचों के बाज़ारों में
नाटक मुझमें खेलते हैं
मेरे संवादों से बोल कर
मुझे मांगते हैं अपने ख़ातिर
इक अभिनेता का मोल कर
ये वादा है मुझसे मेरा
मैं कहीं न मुड़ के जाऊँगा
कितना भी फिरलूं दर-बदर
फिर लौट के घर ही आऊँगा।।
#ऐसावैसाwriter
18 जनवरी 2022
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