सफ़र
न बोले तुम, न मैंनें कुछ कहा
पर साथ अपना दूर तक रहा
तुम चढ़ गई जिस बस में थी
मैं था उसी में बैठा हुआ.....
जैसे ही ये, बस थी रूकी
तुम सामने थी इसके खड़ी
पट इसके फिर झट से खुले
रस्ता तके था रस्ता तेरा
जैसे चढ़ी, बस चल पड़ी
सबकी नज़र, तुम पर पड़ी
तुम जब मेरे पास आ रुकी
तब दिख पड़ा चेहर
तेरा...
तुमको टिकट जैसे मिली
नज़रें तुम्हारी फ़िरने लगी
जिस सीट पर तुम आ रुकी
मैं भी वहाँ था, बैठा हुआ।।
गौरव प्रकाश सूद
#ऐसावैसाwriter
13मार्च 2021
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