"अकेले "
मुझे अकेले चलना पसंद है
सीधी - सपाट ज़मीन हो, ऊबड़-खाबड़ रास्ते
या पथरीले पहाड़।
जहाँ रेत से भरी पगडंडियों पर दूर तक अंधेरा फैला हो
या रौशनी की मात्र सी किरण हो
या सुहानी धूप से जल्ती सड़क
मुझे अकेले चलना पसंद है
जहाँ चाँदनी की ललाट से पेड़ों की परछाईयाँ
बिखरी हो दूर तलक
और किसारियों की सरगम से सजा हो सफ़र
या सूनेपन के अवसाद से भीगा और भुरभुरा
मुझे अकेले चलना पसंद है
जहाँ दोनों तरफ़ खेत ही खेत हो
और लहराती फसल की ज़ुल्फ़ छूकर
आती हो हवा, मुझे छूने
या फिर कहीं बिख़रे हो मृत शरीर
लाल भूमी पर, जिसके ऊपर मैं
अपने अंतिम पदचिन्ह छोड़ता चलूँ।।
गौरव प्रकाश सूद
13 नवम्बर 2020
#ऐसावैसाWRITER
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