लाचार

ख़ामोशी की आवाज़ें कोई सुनले मेरी
मुझे शब्द नहीं मिलते
मेरा हाल बताने को।।

मेरी महफ़िलों की मायूसी
कोई समझेगा नहीं
मेरे ज़ख़्म नहीं भरते 
मैं मजबूर छुपाने को।।

आंहें कोई जानले 
मेरे राग,अलापों में
मेरे दर्द नहीं रुकते
मैं लाचार दबाने को।।
    गौरव प्रकाश सूद 
#दर्दकाकारवां #ऐसावैसाwriter
14 जून 2020

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