सफ़र

अंदाज़-ए-सफ़र मेरा देखकर जो फ़िक़रे कसने बैठें हैं 
मेरे दर्द किसी ने न समझे मेरे घाव किसी ने न देखे
रस्ते में मिले कंकर-कांटे, जो बस मेरे हिस्से आए थे 
मेरा लहू किसी ने न समझा, मेरे पांव किसी न न देखे।।

                                            ।। गौरव प्रकाश सूद।।
#दर्दकाकारवां
#ऐसावैसाwriter
30 नवम्बर 2025
11:45
                                          

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