प्रेम निवेदन

ये प्रेम निवेदन अंतिम है, तुम सुन लो तो कोई बात बने
जो बची कुची जिंगारी है होने वाली जो ख़ाक छने
तुम एक बार बढ़कर के तो अपने अंगों को देखो तो
जैसे सेंका करता था मैं आँखों को उनपर सेंको तो
दुनिया में कोई नहीं ख़ुदको उतना सुंदर तुम पाओगी
ये सच मानों मेरी ही तरह अपने प्यार में तुम गिर जाओगी
एक नज़र झुका कर देख तो लो झंघा अपनी ये सोने की
जो सिरहाना थी मेरे लिए सो जाने की और रोने की
फिर एक झलक़ ताकों अपने पल्लू से दबे कटि भाग को
चिपका रहता था हाथ जहां ख़्वाबों में हर इक रात को
और देखो ऊपर पर्बत दो केशों के भार से ढंके हुए
ज्यूं फल छुप जाते शांक के नीचे भरे पेड़ पर लदे हुए
ज़ुल्फ़ों को पीछे कर देखो गर्दन है जैसे मोड़ कोई
दुनिया में न ख़्वाबों में जिसका आज तलक़ न तोड़ कोई
जिसके रस्ते से पानी भी चमके जैसे कोई सोने सा
बेचैनी का कारण मेरा, ये कारण परियों के रोने का
चेहरा जैसे कोई ख़्वाब हंसी पाबंदी जिसको छूने की
दी जिसने थी उम्मीद जगा जीवन इस सूने-सूने की




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